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आखिर यह जिम्मेवारी किसकी है–ज्ञानेन्द्र रावत
देवभूमि उत्तराखंड के तेरह में से ग्यारह जिलों के जंगल में कई दिनों से लगी है आग....
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आज देवभूमि उत्तराखंड के तेरह में से ग्यारह जिलों के जंगल कई दिनों से आग से धधक रहे हैं, सैकडो़ं हेक्टेयर जंगल इसकी चपेट में हैं, संरक्षित वन क्षेत्र भी इस आग से अछूते नहीं हैं, जानवर मर रहे हैं तो कहीं यह आग राजमार्ग और बस्तियों तक पहुंच गई है, हजारों वनस्पति की प्रजातियां इस आग में स्वाहा हो गयीं हैं, पर्यावरण विषाक्त हो रहा है,कहा तो यह जा रहा है कि राज्य के वन विभाग,स्थानीय प्रशासन के बारह हजार कर्मचारी आग बुझाने में लगे हैं, लेकिन आग लगातार बढ़ती ही जा रही है वह बुझने का नाम नहीं ले रही। टिहरी की डी एम लोगों से घर व खेतों से दस मीटर के दायरे से दूर झाडि़या जलाने की अपील कर रही हैं, मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत गृहमंत्री से मदद की गुहार लगा रहे हैं, देश के गृहमंत्री ने हरसंभव मदद का भरोसा दिया है।
देखा जाये तो आग लगने की घटनाओं का उत्तराखंड से पुराना नाता रहा है। वन विभाग की मानें तो अबतक प्रदेश में 609 घटनाएं हुईं हैं जिससे राज्य में 1263.53 हेक्टेयर जंगल भस्म हो गये हैं और चार लोगों की मौत हुई है। जबकि कुछ सूत्र फरवरी महीने से अबतक आग लगने की कुल 983 घटनाएं होना बताते हैं। बीते 24 घंटों में हुई आग की 31 घटनाओं में 93 हजार 538 रुपये की वन संपदा स्वाहा हो गयी है। अब तो आग ने भयावह रुख अख्तियार कर लिया है। सबसे अधिक तो वन्य जीवन पर इसका असर हुआ है जिनका जीवन ही खतरे में पड़ गया है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं पर्यावरणविद हैं।)