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“अपने सपने पूरे करने के लिये दूसरों पर निर्भर मत रहो “

"एक बाइक लवर होने के साथ-साथ अदिती एक लाइफ लवर भी हैं।"

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लड़कियां लड़कों से कम नहीं होती ये बात अक्षरशः सच कर दिखाई है अहमदनगर ( महाराष्ट्र ) की 21 वर्षीय अदिती भंडारी ने
                                                  
                                      ड्रीम ऑफ़ द स्काय एंड हेव द करेज टू फ्लाय। –अदिति भंडारी ’द पांडा बाइकर’
आसमान छूने का सपना देखो और उतनी ऊंची उड़ान भरने की हिम्मत भी रखो तभी तुम कहलाओगे ”चैंपियन“। जी-हां एक छोटी सी उम्र में बड़े-बड़ों को दातों तले उंगली दबाने को मजबूर कर दिया अदिती ने। जी-हां नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाया, अपने जुनून को उसका हक दिलाया अदिती ने। और यही नहीं जितनी तेज़ रफ्तार उसकी बाइक में है उतना ही ठहराव उसकी सोच-समझ में साफ-साफ दिखाई देता है। बेहद सुलझे हुए विचार और ऊंचे संस्कार लिए अदिती तेज़ी से बढ़ रही हैं सफलता की राह पर। साइकोलाॅजी से ग्रेजुएशन कर चुकी अहमदनगर की पहली लेडी सुपर बाइक राइडर- ’द पांडा बाइकर’ की निजी ज़िदंगी से जुड़े कुछ पहलुओं पर बातचीत की अंजू सागर भंडारी ने…..
मेरा जन्म 10 मई 1999 में कुकाणा (अहमदनगर) में एक जैन परिवार में हुआ। प्रारंभिक शिक्षा ऑग्जेलियम स्कूल से और अहमदनगर काॅलेज से सायकोलाॅजी से ग्रेजुएशन किया। मुझे बचपन से बाइक्स बेहद पसंद हैं। जब मैं 11 साल की थी तब मेरा भाई हार्ली डेविड्सन बाइक लाया जिसे देखकर पहली बार मैंने बाइक्स के प्रति अपने आकर्षण को गहराई से महसूस किया। और उसके बाद 2016 में पुणे में आई. एस. एफ. (प्रति वर्ष आयोजित होने वाला इंडियन सुपरबाइक फेस्टिवल) का आयोजन हुआ, तब मैंने भाई से ज़िद् की कि “मुझे भी इस फेस्टिवल में जाना है।” मैं उस समय सिर्फ 17 साल की थी। तब सभी ने मुझे समझाने की बहुत कोशिश की कि ये कोई बच्चों का खेल नहीं है लेकिन मैं भी क्या करती मुझे तो बस! फेस्टिवल में जाना ही था। तब मेरे भाई ने मेरे सामने एक नामुमकिन सी शर्त रख दी। उसने कहा कि अगर तुम्हें इस फेस्टिवल में आना है तो तुम्हें अहमदनगर से पुणे तक खुद बाइक चला कर जाना होगा। उसकी शर्त को मैंने सहर्ष स्वीकार कर लिया और अपने भाई से कहा, “चलो सिखाओ मुझे बाइक चलाना“। यह वाकया बताते हुए आज भी अदिती की आंखों में ऐसी चमक और आवाज़ में ऐसा आत्मविश्वास झलकता है जो हर किसी को प्रभावित करता है।तब मात्र 4-5 दिन में मैने बाइक चलाना सीखा और अपने भाई की शर्त अनुसार अहमदनगर से पुणे तक लगभग 120 किलोमीटर मैं बाइक चला कर ही गई। वो मेरी ज़िंदगी का सबसे हसीन सफर था। वहां मुझे लाउडेस्ट मोटरसाइकल की ट्राॅफी भी मिली। 2019 में मुझे बेस्ट पेंटिड बाइक के लिए एवार्ड भी मिला जिसे मैंने अपने हाथों से डेकोरेट किया था। इसके आलावा मैं राइडिंग ग्रुप जैसे एम.बी.आर (मुंबई ब्रदरहुड राइडर) और एच.ओ.सी. (हार्ले ऑनर्स क्लब) की सदस्य भी हूं।
जैसा कि अदिती को कस्टमाइज़्ड बाइक्स चलाने का बेहद शौक है जो उन्हें एक अनोखेपन का अलग अंदाज़ देती हैं। सी.बी.आर. 600, हार्ली डेविडसन 883, सुपरलो, बुलेट, सी. बी 1000, ड्युक्टी स्करैंबलर और फायरब्लेड जैसी सुपर बाइक्स (200 किलोग्राम वज़न से भी ज्यादा) चलाने वाली अदिती अपने परिवार और खासतौर पर अपने भाई (यश) को अपनी सफलताओं का श्रेय देती हैं जिन्होंने अदिती को न केवल बाइक चलाना सिखाया बल्कि उसकी हर संभव मदद की उसके सपने को पूरा करने में।

वे बाइक्स से इतनी मोहब्बत करती हैं कि उन्होंने बाइक्स डेकोरेट करने के लिए अपने आर्ट वेंचर को ”डूडल पांडा“ नाम दिया है। अपने भाई की स्पोर्टस कार और बाइक्स ऐसेसरीज़ की वर्कशाॅप मोटोफ्यूज़न में भी अदिती कस्टमाइज़्ड चिबी आर्ट, बैग टैग्स, बैचिस (बिल्ले), टी शर्टस, डूडल ऑफ बाइक्स बनाती है।
“एक बाइक लवर होने के साथ-साथ अदिती एक लाइफ लवर भी हैं।” जाॅन अब्राहम और विकी कौशल की फैन हैं अदिती।
और उन्हें मूवीज़ देखना और शाॅपिंग करना भी बेहद पसंद है। जहां एक ओर उन्हें चाय पीना बहुत पसंद है वहीं दूसरी ओर वे चाय भी बहुत अच्छी बना लेती हैं। यही नहीं वे अपने घर में अपनी 20 बिल्लियों को एक मां की तरह संभालती हैं और उन्हें लाड-प्यार करती हैं। उन्हें साॅफ्ट टाॅएज़ बहुत लुभाते हैं खासतौर पर पांडा। इसीलिए पांडा बाइकर के नाम से फेमस है अदिति। अपने दोस्तों के साथ भी समय व्यतीत कर ज़िंदगी का भरपूर लुत्फ उठाती हैं अदिती। उनके दोस्तों को भी अदिती की सफलताओं पर बेहद गर्व है।
“अपने सपनों की ऊंची उड़ान तय करने के लिये अपने हौसले बुलंद होने चाहिये।” जो भी तुम करते हो वह इसलिये मत करो कि किसी को इंप्रेस करने के लिये बल्कि इसलिये करो क्यूंकि तुम करना चाहते हो। जो भी तुम करते हो वह इसलिये करो क्यूंकि वह काम करना तुम्हें बेहद पसंद है। अदिती हमारी आज की युवा पीढ़ी के लिये संदेश देती हैं कि ”तुम सपने देखना मत छोड़ो! उसे पूरा करने के लिये कड़ी मेहनत करते रहो, तभी तुम सफल बनोगे। यदि किन्हीं कारणों से सफलता न भी मिले तो भी पीछे मत हटो, हर रोज़ अपने लक्ष्य की ओर एक छोटा सा कदम अवश्य बढ़ाओ। उससे तुम हर दिन अपने लक्ष्य के करीब पहुंचते रहोगे और एक न एक दिन अपनी मंज़िल को पा लोगे। एक और सीख है जो अदिती आज की युवा लड़कियों को देना चाहती हैं कि ”तुम अपने सपने पूरे करने के लिये दूसरों पर निर्भर मत रहो। जितना हो सके स्वयं निरन्तर प्रयास करते रहो। और एक और महत्वपूर्ण बात कि “कभी किसी के लिये कुछ छोड़ो मत।“ जब मैंने बाइक राइड करने की बात कही थी तब मेरा विरोध करने वालों की भी कमी नहीं थी लेकिन मेरा इरादा पक्का था और फेमिली ने मुझे हमेशा सपोर्ट किया जिसके कारण आज मैं मेरा सपना पूरा कर पाई।
मैं मेरे पैशन को कभी नहीं छोडूंगी। शायद अगर उसे एक प्राॅफेशनल रूट न भी दे पाऊं पर बाइक से मुझे कोई जुदा नही कर सकता। कभी नहीं, कतई नहीं। मैं बाइक से हमेशा प्यार करती रही हूं और हमेशा करती रहूंगी। मैं ज़िंदगी में चाहे कुछ भी करूं, कहीं भी जाऊं लेकिन मेरी बाइक हमेशा मेरे साथ रहेगी।
                                                     आकाश की ऊॅंचाइयां, बुलंदियां छूने को तो सबका जी चाहता है,
                                         लेकिन वहां तक उड़ता वही है जो बेफिक्र, बेखौफ निरंतर पंख फड़फड़ाता है।

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